राज कहो क़ानून का या किस्मत का खेल,
चारा खाने के लिए लालू जी को जेल।
चारा-चारा कर रहे घर-बाहर सब लोग,
लालू बे-चारा हुए सब करनी का भोग।
...
कहती होंगी राबड़ी 'लालू तुम बेजोड़,
चारा ही खाते रहे घर में रबड़ी छोड़'।
'देख रहे क़ानून के कितने लम्बे हाथ,
क्यों बे-चारा हो गए चारा खा कर नाथ।'
चारा खाने के लिए लालू जी को जेल।
चारा-चारा कर रहे घर-बाहर सब लोग,
लालू बे-चारा हुए सब करनी का भोग।
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कहती होंगी राबड़ी 'लालू तुम बेजोड़,
चारा ही खाते रहे घर में रबड़ी छोड़'।
'देख रहे क़ानून के कितने लम्बे हाथ,
क्यों बे-चारा हो गए चारा खा कर नाथ।'
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