Thursday, April 14, 2011

चलो, करें संकल्प (कुंडली)

अन्ना के अभियान को शत-शत करें प्रणाम,
रहे भ्रष्टाचार का कहीं देश में नाम,
कहीं देश में नाम हो रिश्वतखोरों का,
कारागारों में घर हो सारे चोरों का,
चलो, करें संकल्प आज सब मिल कर इतना,
सहें भ्रष्टाचार कष्ट हो चाहे जितना।

-
हेमन्त 'स्नेही'

Saturday, January 1, 2011

चलो, प्रदूषण से करें मिलजुल कर हम युद्ध

ये दोहे समर्पित हैं मंगलायतन विश्वविद्यालय के इन युवा छात्रों को,
जिन्होंने 'परिवर्तन' नामक एक मंच का गठन कर
पर्यावरण-रक्षा के लिए पहल की है।

औद्योगिक उन्नति बनी आज गले की फाँस,
जहरीली होती हवा मुश्किल लेना सांस।

जिधर देखिये बन रहे पिंजड़ेनुमा मकान,
ढूंढे से मिलते नहीं आँगन औ' दालान


गंगा भी दूषित हुई, हवा न मिलती शुद्ध,
चलो, प्रदूषण से करें मिलजुल कर हम युद्ध

दूध-दही की बात तो लगने लगी अजीब,
पीने का पानी कहाँ सबको भला नसीब


विज्ञानी हैरान हैं और खगोली दंग,
मौसम देखो बदल रहा कैसे-कैसे रंग


-हेमन्त 'स्नेही'

***


लोगे तुम जग जीत ( दोहे )


लक्ष्य अगर स्पष्ट हो, कुछ करने की चाह,
हर बाधा को चीर कर बन जाती है राह।

मन में दृढ़ संकल्प हो, अपने पर विश्वास,
मंजिल चल कर खुद-ब-खुद आ जाती है पास।

धन, वैभव या ज्ञान का करें न जो अभिमान,
उनको ही मिलता सदा स्नेह और सम्मान।

अधरों पर मृदुभाष हो, मन में निर्मल प्रीत,
बिना किसी हथियार के लोगे तुम जग जीत।

लगता रेगिस्तान सा यह दुनिया का चित्र,
मानसरोवर सा लगे मिले जो सच्चा मित्र.


-हेमन्त 'स्नेही'